मैथली कबिता
रुपचनियां हे रुपचनियां आंहाक माहिमा लागै अपार, आंहाक महिमा लागै अपार ।
भाइग रहल छि आंहाक पिछा छोइर देलौ परिवार ।
भागैत भागैत पहुच गेलौ हम सात समुन्द्र पार, सात समुन्द्र पार ।
यी पापी पेटक खातिर मे सबहक आंहाक जरुरी अइछ ।
बिन आंहाक लोगन सब मे कुकर्म करके मजबुरी अइछ।
रुपचनियां हे रुपचनियां आंहाक महिमा लागै अपार , आंहाक महिमा लागै अपार ।
बचपन, व्यस्क , बुढ , जवान पैसाक लेल अइछ सब परेसान ।
चाहे कहियौ विलगेटस चाहे कहु अम्बानी , चाहे कहियौ विद्वान वरा चाहे कहु वैज्ञानी ।
सब अंहिक लेल संघर्ष करैछै , अंहिक लेल परेसानी ।
रुअपचनियां हे रुपचनियां आंहाक महिमा लागै अपार , आंहाक महिमा लागै अपार ।
अंहिस सबहक परिवार चलैछै अंहिस चलै व्यापार , अंहिक लेल रोजगार करैछै अंहि स चलै सरकार , अंहि स चलै सरकार ।

बाप रहे चाहे भाइ घरवाली रहे चाहे माइ , सास रहे चाहे साली ससुर रहे या जमाइ सबहक चाही रुपैया , सबहक चाही रुपैया ।
रुपचनियां हे रुपचनियां आंहाक महिमा लागै अपार आंहाक महिमा लागै अपार आंहाक महिमा लागै अपार ।
गाँस वास और कपास सबमे अइछ आंहाक महिमा खास ।
सुखभोगी चाहे दु:खभोगी , फकिर रहे चाहे रोगी आंहाक उपर सबहक आस आंहाक उपर सबहक आस ।
पैसा अइछ त यी दुनियाँ मे इज्जत और सम्मान अइछ ।
खाली जेब नै कोइ पहचानत अपनो सब अन्जान अइछ ।
रुपचनियां हे रुपचनियां आंहाक महिमा लागै अपार ।
लेखक: राज कुमार साफी