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11 अक्टूबर, काठमांडू। बड़ा दशईं के दूसरे दिन आज देशभर के शक्तिपीठ और दशईं घरों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है. शक्तिपीठों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है।
परंपरा के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर दशईं पूर्णिमा तक दुर्गा भवानी की पूजा और उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाता है।
दशईं के पहले दिन कल घटस्थापना में शैलपुत्री देवी की पूजा की गई। घटस्थापना के साथ नवदुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने की परंपरा है।
नवरात्रि के नौ दिनों में पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है. आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री।
धार्मिक रूप से यह माना जाता है कि ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्थात् तपस्या करने से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
आज भी राजधानी में तालेजू भवानी, गुहवेरी, दक्षिणकाली, कालिकास्थान, मैतीदेवी, इंद्रायणी, विजेश्वरी, शोभगवती, नक्सल भगवती और भद्रकाली में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है.
इसी तरह राजधानी के बाहर के मंदिरों जैसे डांग की अंबिकेश्वरी, सप्तरी की छिन्नमस्ता, धरण की दंतकली, पोखरा की विंदवासिनी, डोटी की शैलेश्वरी, बगलुंग की कालिका, गोरखा के मनकामना में भी भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
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